श्री उमंग सिंघार

श्री उमंग सिंघार जी का जन्म 23 जनवरी,1974 स्थान, ज़िला धार मध्यप्रदेश में हुआ था, उनके पिता का नाम स्व. श्री दयारामजी सिंघार और माता का नाम श्रीमती शकुंतला सिंघार है। श्री सिंघार जी ने एलएलबी में शिक्षा प्राप्त की। वे एक समाज सेवक है। श्री उमंग सिंघार स्वर्गीय श्रीमती जमुना देवी जी के भतीजे हैं, जो स्वयं मध्यप्रदेश विधानसभा की सदस्य रहीं और विपक्ष की नेता भी रही। श्रीमती जमुना देवी जी तत्कालीन सरकार में उप-मुख्यमंत्री के रूप में कार्यरत थी। उन्हें झाबुआ से लोकसभा सदस्य के रूप में चुना गया था। वह वर्ष 1978 से 1981 तक राज्यसभा की सदस्य भी रहीं। श्री सिंघार बचपन से ही बुआ जमुना देवी जी के कार्यों, जन हितैषी नीतियों व उनकी समाज के प्रति प्रतिबद्धता को देख कर बड़े हुए। श्रीमती जमुना देवी जी जैसी महान समाज सेवी का व्यक्तित्व श्री सिंघार का आदर्श बना और वो उनके जीवन की सबसे बड़ी प्रेरणा स्रोत बन गई।

श्री सिंघार ने बुआ जी के पद चिन्हों पर चलना शुरू कर दिया। वे युवा अवस्था से ही परोपकारी गतिविधियों जैसे समाजसेवा, दान, स्वयंसेवी गतिविधियों के प्रति समर्पित होकर समाजसेवा की दिशा में आगे बड़े। श्री सिंघार युवा अवस्था से ही कांग्रेस से जुड़ गये। श्री सिंघार ने सन 1998 में धरमपुरी विधानसभा से चुनाव लड़ा जिसमें वे बहुत कम अंतर से असफल रहे। श्री सिंघार के जोश और उनकी युवाओं में बड़ती लोकप्रियता को देख कर वर्ष 2001 में उन्हें युवा कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया। श्री सिंघार सक्रिय होकर आगे बढ़ने लगे, उन्होंने 2003 से टिकट के लिए प्रयास किया।

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श्री उमंग सिंघार जी ने 2004 में धार ज़िले से लोकसभा चुनाव लड़ा जिसमें वह बहुत कम अंतर से पराजित हुए। श्री राहुल गांधी जी के साथ श्री सिंघार ने देश का पहला ट्राइबल टूर किया जिसमें आदिवासियों के लिए नीति बनाने का कार्य किया गया। श्री उमंग सिंघार ने कांग्रेस आलाकमान द्वारा समय-समय पर सौंपी गई कई अन्य महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां जैसे ओडिशा चुनाव, अमेठी चुनाव के इलेक्शन कैंपेन में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन किया । श्री सिंघार को 2008 में राहुल गांधी जी के द्वारा धार ज़िले की गंधवानी विधानसभा छेत्र से टिकट दिया गया जिसमें वे जनता के प्रेम और आशीर्वाद से भारी मतों से विजयी हुए। श्री सिंघार को वर्ष 2008 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ( AICCC) का सदस्य चुना गया।

सामान्य प्रशासन विभाग की परामर्शदात्री समिति व विधानसभा की याचिका समिति के सदस्य रहे। AICC के राष्ट्रीय सचिव और अनुसूचित जनजाति मोर्चा के सदस्य रहे। श्री सिंघार झारखंड राज्य के सह प्रभारी भी रहे। श्री सिंघार ने अपने निर्वाचन क्षेत्र के आदिवासी लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने के एकमात्र उद्देश्य के साथ विधायक के रूप में कार्य किया। उन्होंने शिक्षा प्रणाली में सुधार, बेहतर स्वास्थ्य और स्वच्छता सुविधाओं की व्यवस्था और आदिवासी भाई-बहनों की आजीविका सुधारने जैसे अनेक कार्य किए। वर्ष 2013 में श्री उमंग सिंघार जी का एक बार फिर गंधवानी विधानसभा से चयन हुआ। उन्होंने भाजपा के सरदार सिंह मेधा के विरोध में जीत हासिल की और वे दूसरी बार गंधवानी विधानसभा के विधायक बने। दूसरी बार जीत के साथ, श्री सिंघार को हराना उनके प्रतिद्वंद्वियों और प्रतिस्पर्धियों के लिए एक असंभव स्वप्न बन गया है। श्री उमंग सिंघार ने वर्ष 2018 के विधानसभा चुनावों में फिर से भाजपा के सरदार सिंह मेधा के खिलाफ 96,000 से अधिक मतों के साथ जीत हासिल की और तीसरी बार गंधवानी के सबसे योग्य विधायक बन कर उभरे। श्री सिंघार अपनी लोकप्रियता बनाए रखते हुए,लगातार तीसरी बार गंधवानी के विधायक बने।

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वर्ष 2019 में तत्कालीन कांग्रेस शासनकाल में श्री कमलनाथ जी के मुख्यमंत्रित्व में श्री उमंग सिंघार जी को राज्य के वन मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया। उन्होंने दिए गए दायित्वों का पूरी ईमानदारी के साथ निर्वाह किया साथ ही अपने कार्यों से शासन, प्रशासन में अपनी गहरी छाप छोड़ी। श्री सिंघार अपनी पार्टी, अपने लोगों और अपने कार्यकर्ताओ के लिए आवाज़ उठाने वाले राजनेता है। उन्होंने कई बार कार्यकर्ताओ के साथ हुई नाइंसाफ़ी के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद की। श्री सिंघार ने अपनी नीति, नियम, निर्णय और तर्क से सरकारों के फैसले बदले और उन्हें सोचने पर मजबूर किया। श्री सिंघार ने कभी भी अपने उसूलों के साथ समझौता नहीं किया। जीवन के मुश्किल दौर में भी वे हिमालय के समान खड़े रहे, लड़ते रहे है, और ये सिलसिला आज भी जारी है।