“भारत जोड़ो यात्रा” -विशेष
दिलों में पनप रही सांप्रदायिक नफ़रत को
*क़दमों की दूरी से ख़त्म किया राहुल गांधी जी ने - उमंग सिंघार*
इतिहास गवाह है कि विश्व कल्याण के लिए कई महात्माओं ने अनेक यात्रायें कि है इस परम्परा को जारी रखते हुए भारत के कल्याण के लिए राहुल गांधी जी ने भारत जोड़ो यात्रा की। नये भारत की ये एक मात्र ऐसी यात्रा है, जिसे देश के सबसे चहेते बेटे राहुल गांधी जी ने शुरू की। उनकी इस कोशिश ने रोते बिलखते चेहरों पर मुस्कुराहटों की बौछार कर दी। इस यात्रा ने लोगों के दिलों की दूरी को कम कर दिया और दुनिया ने देखा की भारतीय राजनीति में एक भारतमाता का भक्त समाज को जोड़ने और सत्ताधारियों का गुरूर तोड़ने के लिए भारत जोड़ो यात्रा पर निकल पड़ा है।
भारत जोड़ो यात्रा ने पूरे भारत को एक सूत्र में बाँधने का कार्य किया। किसे पता था कि दिलों में पनप रही सांप्रदायिक नफ़रत को दो क़दम की दूरी से ख़त्म किया जा सकता है। बड़ी बात यात्रा नहीं! बल्कि इस यात्रा को करने के उद्देश्य में है, यह देख पाने में है की देश किस प्रकार एक बार फिर बाँटा जा रहा है। राहुल गांधी जी के इसी विचार ने भारत जोड़ो यात्रा का स्वरूप लिया। इस यात्रा का असर ऐसा हुआ कि नफ़रतों के जलते बाज़ार में मोहब्बत की दुकान चल पड़ी। राहुल गांधी जी जहां पहुँचे वहाँ उन्होंने बेहद ही संतुलित शब्दों में जनता से नफ़रत छोड़ो, गले मिलो, अपनो को पहचानों, हम सब एक है यही कहा!
ये बात इतनी सरल है कि जिसे कहने मात्र से लोगों ने हाथ मिलाए, जनता को एक तसल्ली मिली की अब सब ठीक हो जाएगा सत्ता धारी सरकार ने इतने ख़राब माहोल में भी जनता से शांति की अपील मात्र तक नहीं की। राहुल जी ने जनता की इस बेबसी को समझा और आश्वासन दिया की डरों मत सच बोलो मैं तुम्हारे साथ हूँ। भारत अब राहुल गांधी जी के साथ बदलाव के रास्ते पर चल पड़ा है, जनता के साथ राहुल जी को सत्ताधरियों द्वारा बिछाए गये ये काँटे अब कोमल पुष्प लगने लगे है।
राहुल गांधी के नेतृत्व में हुई 'भारत जोड़ो यात्रा' को एक साल पूरा हो गया है। 145 दिन चली इस यात्रा ने देश के 12 राज्यों औ 2 संघ शासित प्रदेशों से 4081 KM का सफ़र तय कर करोड़ों देशवासियों के मन में एक उम्मीद जगाई और नफ़रत के बाज़ार में मोहब्बत की दुकान खोल दी।